शादी के बाद ससुराल के कारोबार से अलग शुरू किया काम, पति का मिला सपोर्ट, आज लाखों में कमाई

नई दिल्ली: आपने मछली पालन के कारोबार के बारे में सुना होगा। लेकिन क्या आपने ऐसे कारोबारी के बारे में सुना जो घर में रखे जाने वाले एक्वेरियम के लिए मछलियां पालता हो।? मिलिए पार्वती विनोद (Parvathy Vinod) से। केरल की रहने वाली पार्वती का केरल के क

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नई दिल्ली: आपने मछली पालन के कारोबार के बारे में सुना होगा। लेकिन क्या आपने ऐसे कारोबारी के बारे में सुना जो घर में रखे जाने वाले एक्वेरियम के लिए मछलियां पालता हो।? मिलिए पार्वती विनोद (Parvathy Vinod) से। केरल की रहने वाली पार्वती का केरल के कोल्ल्म में 'देवू एक्वाफार्म' नाम से मछली पालन का फार्म है। वह इस फार्म से हर महीने करीब 50 हजार रुपये (सालाना 6 लाख रुपये) कमाती हैं। यह उनकी औसतन महीने की कमाई है।
समाजशास्त्र में ग्रेजुएट पार्वती ने शादी के बाद एक्वेरियम में सजावट के लिए इस्तेमाल होने वाली मछलियों का पालन शुरू किया था। हालांकि इसके बारे में उन्होंने कभी नहीं सोचा था। 18 साल की उम्र में उनकी शादी ऐसे परिवार में हुई जो खाने वाली मछलियों का कारोबार करता था। शादी से पहले उन्हें मछलियों के कारोबार के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।

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सीखने में लगे कई साल

पार्वती बताती हैं कि जब उन्होंने पति को मछली पालन का कारोबार करते देखा तो उनकी भी रुचि इसमें बढ़ गई। हालांकि उन्हें एक्वाकल्चर (एक्वेरियम के लिए सजावटी मछलियों के पालने के कारोबार को एक्वाकल्चर भी कहा जाता है) को सीखने में कई साल लग गए। इसमें उनके पति ने उनकी काफी मदद की।

पार्वती कहती हैं कि मछली पालन बहुत ही मुश्किल कारोबार है। इसमें मछलियों का प्रजनन बहुत ही जोखिम भरा होता है। कई बार ऐसे भी दिन आए जब पूरे टैंक की मछलियां मर जाती थीं। ऐसे में काफी नुकसान होता था। हालांकि उन्होंने ऐसी असफलताओं से सबक लिया। आज वह मछली पालन के साथ लोगों को अपनी हैचरी में ट्रेनिंग भी देती हैं।

सीमेंट और कांच के टैंक में मछली पालन

पार्वती ने अपने परिवार से अलग मछली पालन शुरू किया। परिवार जहां खाने की मछलियों का कारोबार करता था तो पार्वती सजावटी मछलियों का। उन्होंने सजावटी मछली के कारोबार को विस्तार देने के लिए सीमेंट और कांच के टैंक बनवाए।

पार्वती ने कुछ साल पहले एक हैचरी बनाई। हैचरी वह जगह होती है जहां मछलियों के अंडों को रखा जाता है। हैचरी को बनाने में PMMSY (प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना) योजना से काफी मदद मिली। इस योजना के अंतर्गत उन्होंने लोन लिया। साथ ही अपनी बचत के 15 लाख रुपये के निवेश के साथ हैचरी स्थापित की। इनकी हैचरी में अलग-अलग आकार के कई टैंक हैं जहां इन मछलियों को रखा जाता है।

कहां फैला है कारोबार?

पार्वती इन मछलियों को खुदरा दुकानों को बेचती हैं। हैचरी के ग्राहक केरल के अलग-अलग शहरों से आते हैं। पार्वती कहती हैं कि उनका औसतन महीने का कारोबार 50 हजार रुपये का होता है। किसी महीने यह एक लाख रुपये को पार कर जाता है तो किसी महीने कमाई 15 हजार रुपये से भी कम होती है।

पार्वती के मुताबिक इस कारोबार में फ्यूचर काफी बेहतर है। क्योंकि बहुत से लोग अपने नए घरों और ऑफिस में सजाने के लिए एक्वेरियम ले रहे हैं। एक्वेरियम की मांग में तेजी आ रही है। हालांकि इसकी गति थोड़ी कम है, लेकिन उम्मीद है कि अगले कुछ वर्षों में यह बढ़ जाएगी।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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